Congress Vs BJP | Voting 2024 | Lok Sabha Election 2024 | Unemployment | Naiya Paar Education

हाय हाय रेवाला हाय हाय रेवाला आय हाय रे अरे बेरोजगार चिलगोजा तो अपनी आंखें खोलो बेशर्म हो जिन नेताओं को तुम अपना भगवान समझ रहे हो आंखें खोल कर देखो इन भगवानों ने तुमको किस लाइन में लाकर खड़ा कर दिया है जिस उम्र में तुमको रोजगार वाली लाइन में होना चाहिए था जिस उम्र में तुम्हें रोजगार की मांग करनी चाहिए थी उस उम्र में तुम ऐसे फूड़ कार्यक्रमों में मोबाइल से वीडियो बना रहे हो और जिस मोबाइल से तुम वीडियो बना रहे हो वह भी तुमने ईएमआई से ही लिया होगा और बेरोजगारी का अगर यही स्तर रहा तो तुम्हें इस ईएमआई को भरने के लिए अपने कच्छे बेचने पड़ेंगे तुम युवाओं को इतनी सी बात समझ में नहीं आ रही है इन राजनेताओं ने तुम्हारे अधिकारों को बिल्कुल सीमित कर दिया है नौकरी की मांग करने जाओगे तो बदले में तुम्हें लाठियां मिलेंगी अगर सरकारी वैकेंसी निकलती है तो ऊंट के मुंह में जीरा राजस्थान मध्य प्रदेश बिहार छ गढ़ हरियाणा इनके बच्चे फिजिकल की तैयारी कर रहे हैं इस उम्मीद से कि सरकारी नौकरी मिलेगी देश सेवा करेंगे सरकारी नौकरी निकलती भी है तो कहीं पेपर लीक हो जाता है कहीं घोटाला हो जाता है कहीं सीट बिक जाती है कहीं एग्जाम कैंसिल हो जाता है और बाद में जब हमें समय मिलता है

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तो हम इसी प्रकार के कार्यक्रम में फस जाते हैं और अपना गम भूल जाते हैं हमारे अधिकारों को इस प्रकार से सीमित किया जा रहा है कि हमें पता ही नहीं चल रहा है कि हम क्या मांगे क्या ना मांगे आपको बोलने का अधिकार नहीं है अनसन में बैठने का अधिकार नहीं है अब इस लोकतंत्र की जननी में मुझे लगता है अब वोट करने का अधिकार भी धीरे-धीरे खत्म कर दिया जाएगा अमृत काल चल रहा है कुछ भी संभव है मैं कुछ उदाहरण दे रहा हूं समझिए मध्य प्रदेश की इंदौर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी ने अपना नाम वापस ले लिया है ठीक वैसे ही जैसे गुजरात के सूरत में हुआ था बीजेपी सांसद है मुकेश दलाल जी
(01:51) उनके विरोध में खड़े हुए थे कांग्रेस के प्रत्याशी उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया इसके अलावा और भी जो प्रत्याशी थे उन्होंने भी अपना नाम वापस ले लिया तो किसी को वोट डालने की जरूरत ही नहीं पड़ी तो क्या हुआ उनको निर्विरोध जीता हुआ घोषित कर दिया गया जरा कल्पना कीजिए जिस सांसद को जनता के वोट ना मिले हो जब वहां की जनता उस सांसद के घर पहुंचेगी और सांसद से बोलेगी कि साहब हमें यह समस्या है हमारी मांगे पूरी करो तो सांसद बोल देगा किस बात की मांग जब हमने तुमसे वोट ही नहीं लिया तो हम तुम्हारा काम क्यों करें अरे हालात तो यह है कि जिसको हम वोट देते
(02:27) हैं वो हमारे यहां काम करने नहीं आता तो जो बिना वोट के जीत गया हो सोच कर देखिए क्या वह जनता के काम के लिए तत्पर रहेगा बिल्कुल नहीं व जनता के लिए 1 पर भी एहसानमंद नहीं है यह कैसे हो पाया सामने वाला क्यों बिक गया अरे भाई सामने वाला बिकने को तैयार था यह खरीदने को तैयार था पैसा आ ही गया है इलेक्ट्रोल बंड से यह जो इलेक्ट्रोल बंड का पैसा है क्या इससे लोकतंत्र की हत्या की जा रही है वोह तो समय आने पर ही पता चलेगा क्या सूरज जैसे हाल अब इंदौर में होने वाले हैं वो तो समय आने पर ही पता चलेगा अगला प्रश्न यह है कि सर इसमें हम लोगों को क्या तकलीफ है अगर
(03:03) कोई प्रत्याशी अपना नाम वापस ले रहा है तो हो सकता है वो डर गया हो चुनाव लड़ने से स्वाभाविक है डरपोक होगा या बिकाऊ होगा दो में से कोई एक हो सकता है और दोनों ही प्रकार के प्रत्याशी हमको नहीं चाहिए इस लिहाज से जो प्रत्याशी अब खड़ा है सामने उसका सांसद बनना लाजमी है लेकिन यहां पर सोचने वाली बात है कि इस प्रक्रिया से हमको क्या तकलीफ है हमें यह तकलीफ है कि अगर चुनाव होता भले ही आपको निर्दलीय घोषित कर दिया गया है लेकिन नोटा की पावर तो है हमारे पास भाई हमें आप पसंद नहीं है भले ही कोई सिंगल व्यक्ति है नोटा के द्वारा हम आपको नकार तो सकते हैं तो हमसे
(03:37) हमारे वोटों का भी अधिकार छीन लिया गया तो इस प्रकार से लोकतंत्र की भी हत्या हो रही है और हमारे वोट करने के अधिकार को भी हमसे छीना जा रहा है और जो सांसद चुनकर जाएगा वह जनता से उतना दबाव फील नहीं करेगा क्योंकि जनता का जब उसे वोट ही नहीं मिलेगा तो जनता के दबाव में क्यों आएगा और ना ही हम उससे दमदार से व बात बोल पाएंगे कि देखो हमने आपको वोट दिया था आप हमारा काम करो वैसे भी भारत के राजनेता काम नहीं करते हैं और मैं भारत के सभी युवाओं से बस इतना कहना चाह रहा हूं कि यह जो प्रोसेस हो रहा है निर्दलीय चुनाव लड़े जा रहे हैं
(04:06) जिसमें से प्रत्याशी अपना नाम वापस ले रहा है वो तो भगोड़े प्रत्याशी हैं जो भी नाम वापस ले रहे हैं और जो अकेले खड़े हुए हैं वो बहुत मजबूत प्रत्याशी हैं धन बल सबसे इसलिए वो मजबूत खड़े हु तो मजबूत लोगों की ही दुनिया है तो जो मजबूती से खड़ा है मैं उसके पक्ष में खड़ा हूं भाई जो भगोड़े भग गए हैं उसके लिए क्या कर सकते हैं अब कोई नहीं है तो फिर उन्हीं के हाथ पर जोड़ने पड़ेंगे कि साहब आप ही काम करो लेकिन आप युवाओं को ये सोचना है कि आपके लिए नुकसानदायक कैसे है आप आप दो प्रकार से नुकसान में रहोगे पहला आपको उंगली पर सिहाई लगाने का मौका नहीं मिलेगा आप दोनों
(04:37) प्रकार से वंचित होगा एक तो जो युवा पहली बार वोट करता उस क्षेत्र में जहां पर निर्दलीय चुनाव जीत लिया गया है वो वोट देने से उसके अनुभव से चूक गया तो उसके उंगली में वो इंक नहीं लग पाया दूसरा जिस प्रकार से हम लोग फूहड़ कार्यक्रमों में शामिल हो रहे हैं रैलियों में झंडे उठा रहे हैं पंडित मौलवियों के पंडालों में जाकर भीड़ लगा रहे हैं जिस प्रकार से बेरोजगारी का स्तर बढ़ रहा है तो रोजगार होगा नहीं शादी बयाह होंगे नहीं तो तुम्हारे हाथों में मेहदी भी नहीं लगेगी तो तुम दोनों प्रकार से वंचित हो गए पहला तुम्हारे हाथ में इंक नहीं लग पाई दूसरा
(05:09) तुम्हारे हाथों में मेहंदी नहीं लग पाई इंक क्यों नहीं लग पाई चुनाव ही नहीं हुए मेहंदी क्यों नहीं लग पाई भाई जिसको चुनकर भेजा वो तुमसे दबा फील नहीं करेगा और जब चुनाव मंदिर मस्जिद की राजनीति पर हो रहा हो जब चुनाव घृणा वाले भाषणों से हो रहा हो जब चुनाव सांप्रदायिक भाषणों से हो रहा हो तो विकास की बात कौन परे अगर विकास होता ही तो इस प्रकार के फूड़ कार्यक्रम में कोई क्यों जाता तो मैं तो निर्वाचन आयोग से बस इतना निवेदन करना चाहता हूं मेरी बात बस इतनी सी है जब चुनाव प्रचार में इतने तगड़े तगड़े खर्चे किए जाते हैं जनता को जागरूक किया जाता है और लास्ट में
(05:42) जनता को वोट करने का मौका ही ना मिले तो इस प्रकार के चुनाव प्रचार को बंद कर देना चाहिए भाई जिस दिन एग्जाम होता है सबको मालूम है कि मेरा एग्जाम है तो उसी प्रकार से जितनी भी पार्टियां हैं उनका भी एग्जाम ही है एक प्रकार से आप तो सूचना दे दो कि भाई इतने तारीख को चुनाव होंगे ये ये कैंडिडेट हैं आपको जिसको चुनकर भेजना है उसको भेज दीजिए इस प्रकार के फालतू रैली और भाषणों की आवश्यकता क्या है करोड़ों अरबों रुपए इसमें खर्च हो जाते हैं 1.
(06:06) 2 ट्रिलियन डॉलर रुपए खर्च हो रहे हैं भारत के चुनाव के लिए और उसमें भी अगर हमें वोट डालने का मौका ना मिले तो पैसा बर्बाद है इससे अच्छा इस पैसे का इस्तेमाल कहीं स्कूल अस्पताल बनवाने में होना चाहिए और जब भी चुनाव हो तो ये रैलियां बंद कर देनी चाहिए क्योंकि रैलियों में जाकर हम किसी प्रत्याशी को चुनते हैं और जब मौका आता है तो प्रत्याशी वहां से भाग जाता है अकेला निर्विरोध चुन लिया जाता है तो हमारे हाथों में जो सिहाई लगनी चाहिए वो भी नहीं लग पाती जिसके चक्कर में जो प्रत्याशी चुन के गया वो अपनी मन की करेगा ना वो रोजगार
(06:35) देगा ना निर्माण करेगा रोजगार नहीं होगा तो शादी नहीं होगी तुम युवाओं की मेदी नहीं लगेगी तो इसी प्रकार से तुम लोग क्या करोगे [संगीत] [प्रशंसा] [प्रशंसा] [संगीत]

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