Covid Vaccine से Heart Attack बढ़ रहे है? | Analysis by Arvind Sir | Naiya Paar

आजकल हम लोग अपने आप को आधुनिक मालम बोलते हैं जिसके पास अपार संसाधन और ऐसी-ऐसी तकनीकें हैं जिसकी सहायता से जब भी वह चाहे प्रकृति को नियंत्रित कर सकता है ऐसा उसके अंदर भ्रम आ चुका है हकीकत य है जब प्रकृति में कोरोना जैसी महामारी आई थी तो इसी आधुनिक मानव ने उस कोरोना महामारी के सामने घुटने टेक दिए थे हम इसी झूठे भ्रम में जी रहे हैं और हम वास्तविकता को स्वीकारने को तैयार ही नहीं वास्तविकता यह है कि कोरोना हमारे सामने सबसे बड़ी समस्या है जब वह आया तब तो समस्या थी ही थी कोरोना के जाने के बाद जो उसके दुष्परिणाम आ रहे हैं यह चिंता का विषय है

 

Rising Heart Attacks Linked to Covid Vaccine? | Arvind Sir's Analysis | Naiya Paar

जैसा कि आपने वीडियोस में देखा शुरू में कि अच्छे खासे स्वस्थ व्यक्ति जो कोई चल रहा है कोई बैठा है और अचानक से साइलेंट हार्ट अटैक आता है और ऑन द स्पोट उन लोगों की मृत्यु हो रही है जैसा कि शुरू में वीडियोस में दिखाया गया है तो यह बहुत चिंता का विषय है और यह नहीं कह रहा हूं कि हार्ट अटैक आने के कारण केवल एक ही है इसके पीछे कई कारण हैं लेकिन जो रिसेंटली ये प्रवृत्ति आई है इस प्रवृत्ति के पीछे सभी को समझेंगे तो अंत में निर्णय यह निकलेगा कि इसमें सामूहिक गलती निकलेगी कलेक्टिव एरर निकालना है में और कलेक्टिव रिस्पांसिबिलिटी भी लेनी पड़ेगी किसी एक को गलत ठहराना मेरे हिसाब से यह गलत नजरिया होगा हमें पूरी बातों को समझना होगा कि यह साइलेंट हार्ट अटैक आखिरकार क्यों आ रहे हैं इसके पीछे का कारण यह समझा है कि जिन-जिन लोगों को कोविड का वैक्सीनेशन हुआ था उन सबको साइलेंट हार्ट अटैक नहीं आ रहे हैं इसमें दो लोग देखे गए हैं

 

पहला जिन्होंने बूस्टर लिया है उनमें थोड़ी सी प्रॉब्लम दिखी दूसरा वो लोग जिनको पहले से ही किसी प्रकार से हृदय की समस्या थी वह इससे ज्यादा तकलीफ में दिख रहे हैं हृदय की समस्या का मतलब जो सीबीडी से पहले से ही प्रभावित है प्रताड़ित हैं अब उसमें भी कई प्रकार की दिल की समस्या हैं दिल की बीमारियां हैं अब इतना तकनीक में जाने की जरूरत नहीं है मेरा विषय इस चीज के लिए है कि यह जो साइलेंट हार्ट अटैक आ रहे हैं इनके पीछे का मुख्य वजह क्या है तो पहले तो सिर्फ उन्हीं को ज्यादा समस्या दिख रही है जिनको कुछ ना कुछ हृदय की बीमारी थी जो पता नहीं रहती लेकिन होती हैं जैसे सबसे कॉमन बीमारी होती है हृदय की जैसे बोलते हैं मायो कार्ड इटिस इसमें क्या होता है

 

कि जो हृदय का कुछ पार्ट होता है वहां पर स्वेलिंग आ जाती है स्वेलिंग आने की वजह से जो हृदय ब्लड पंप करता है आर्टरी और बन में वो उतने अच्छे से नहीं कर पाता है क्योंकि उसको उतना गैप नहीं मिल पाता है परिणाम स्वरूप पंपिंग अच्छी नहीं होगी पंपिंग अच्छी नहीं होगी तो ब्लड में क्लॉटिंग आना शुरू हो जाएगी क्योंकि ये ब्लेम लगाया जा रहा है कि कोवी सील्ड में ऐसे लक्षण पाए गए हैं कि ब्लड का क्लॉटिंग हो रहा है और जहां ब्लड का क्लॉटिंग होगा तो वेन और आर्टरी में ब्लड सप्लाई नहीं होगा और वो ब्लॉकेज हो की वजह से हार्ट पंप करना बंद करेगा और हार्ट अटैक आ जाएगा जो कि पहले से कोई लक्षण विद्वान नहीं थे तो जो मायो कार्डिस है इसमें होता क्या है कि वो लक्षण उतने स्पष्ट आते नहीं है मतलब मुझे भी हो सकता है आपको भी हो सकता है हालांकि जब प्रॉब्लम बढ़ती है तो वो चीजें सामने समझ में आती है इसीलिए अब मेरे को लगता है कि ये कंपलसरी हो गया है कि हार्ट का कंटिन्यू चेकअप करवाया जाना जाना चाहिए कि कहीं ये जो मायो डा इटिस जैसी प्रॉब्लम तो अंदर नहीं आ रही है कहीं क्लॉटिंग तो नहीं जम रही है कोलेस्ट्रॉल तो नहीं जम रहा है

 

 

इस प्रकार की रिपोर्ट अ बीच-बीच में करानी पड़ेगी और यही मेरे विषय है कि कहीं हम ऐसे जाल में तो नहीं फंस रहे हैं कि हमें जानबूझकर इस प्रकार का एक सिस्टम तैयार किया जा रहा है जिससे हम इस ओर अग्रस हो यह मैं लास्ट में आपको क्लियर करूंगापहले  यह बात सही है कि केवल वैक्सीनेशन वाले वही लोग प्रभावित हो रहे हैं जिनको पहले से ही किसी प्रकार की दिल की बीमारी थी एक दिल की बीमारी में और होता है जिसे बोलते हैं अदम हार्ट अदमिथ होता है जो डब डब करता है ना हमारा धक धक धक धक वो उसका रिदम टूट जाता है जब रिदम टूटेगा तो पंपिंग सिस्टम बिगड़ेगा और पंपिंग सिस्टम बिगड़ेगा तो ब्लड का जो सर्कुलेशन है वो ऊपर नीचे होने की वजह से शायद हार्ट अटैक आ जाए तो जिन लोगों को पहले से अर्धम या फिर मायो कार्ड इटिस जैसी बीमारियां थी स्वाभाविक है वो लोग ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं इस प्रकार के वैक्सीनेशन से और जिन्होंने बूस्टर डोज लिया है उससे पर सीधा ब्लेम नहीं लगाया जा सकता वैक्सीनेशन को क्योंकि उस समय समय कम था ट्रायल करने के लिए समय लगता है

 

और जब ट्रायल करते हैं तो 15 से 20 साल का समय लगता है हमारे पास इतना समय नहीं था इसलिए सीधे सरकार को ब्लेम करना सीधे वैक्सीनेशन को ब्लेम करना यह हमारी गलती होगी और नजरिया भी गलत होगा इसमें कहीं ना कहीं हमारी भी भागीदारी है भागीदारी ऐसे है समझिए आप कि अब फिर से कोविड-19 हमारे दरवाजे पे आ चुका है अब मुझे बताइए कितने न्यूज़ में ये चीजें दिखाई जा रही हैं कि तैयारी कितनी हो रही है और जैसे ही वो अचानक से बढ़ेगा तो यह क्या करेंगे फिर से इकॉनमी यानी कि शटडाउन करना लॉकडाउन करना शुरू कर देंगे पूरे देश को फिर से रेल बंद हो जाएगी फिर से गाड़ी बंद हो जाएंगी

 

तो इससे परेशान कौन होगा इससे वह आम नागरिक परेशान होगा जो अपना शहर छोड़कर दूसरे शहर में दो रोटी कमाने के लिए गया है और कोविड जब आया था 2019 में तो हमने देखा था कि गरीब पैदल रास्ता नाप रहे थे हकीकत है कि उस समय वो गरीब पैदल रास्ता नहीं नाप रहा था वो नंगे पैर से भारत की औकात माप रहा था कि तुमने 70 सालों में एक्चुअली किया क्या है क्या भारत इतना भी नहीं कर पाया है कि उन गरीबों के लिए ऐसी व्यवस्था कर पाता कि कोरोना जैसी व्यवस्थाएं अगर आ जाती बीमारियां आ जाती तो कम से कम वो जहां रह रहे हैं वहीं पर खाने पीने की व्यवस्था हो पाती रहने के लिए घर मिल पाता ऐसी क्या व्यवस्था है कि उन्हें अपना घर छोड़कर दूसरों के यहां जाना पड़ा तो हमें सोचने की जरूरत है कि कहीं वो दोबारा से मंजर हमको देखने को ना मिले शमशान घाट कम पड़ गए थे ऑक्सीजन प्लांट में ऑक्सीजन बनना बंद हो गया था हॉस्पिटल में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाई थी इस चीज से नकारा नहीं जा सकता अब फिर से कोविड आ रहा है

 

हम कितने तैयार हैं पर हम तैयार कहां पर हैं रैलियों को करने में मंदिर मस्जिदों के उद्घाटन करने में कोई भी न्यूज़पेपर ये नहीं दिखाएगा हां क्या दिखाएंगे कि बॉलीवुड में क्या हो रहा है यूट्यूब क्या कर रहे हैं नेता क्या कर रहे हैं और धर्म गुरु आपस में कैसे लड़ाए जा सकते हैं इस पर काम चल रहा है और जैसे ही कोविड आएगा फिर से हमारी वही स्थिति होने वाली है यह हकीकत है क्योंकि हम लोग आधुनिक मानव हैं हकीकत से हमारा कोई लेना देना नहीं है हम तो सिंड्रोम सिंड्रोम कांसेप्ट प काम करते हैं एक कदार है सिंड्रोम सिंड्रोम उसके हाथ में चप्पल है और उसे कांटों के रास्ते प चलके जाना है वह चप्पल तभी पहनता है जब उसको कांटा चुपता है जब मालूम है कि रास्ता कांटे का है तो चप्पल पहन के क्यों नहीं रख रहे हो अब जब मालूम है कि आधुनिक युग में कोरोना जैसी बीमारी आएंगी तो पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर क्यों नहीं दिया जा रहा है

 

फिर से ऑक्सीजन प्लांट बनाना बंद क्यों कर दिया गया अब कब बनना शुरू होगा जब कोरोना आ जाएगा फिर अखबारों में दिखेगा कि जो काम अधूरा छूटा था ऑक्सीजन प्लांट का उसका उद्घाटन नेताजी ने फिर से किया अरे आप इस चीज को समझने को तैयार नहीं है कि हम लोग झूठा दंब भर रहे हैं कि हम आधुनिक मानव है तकनीक से लेस हैं एक्चुअली जो तकनीक से लेस है वो तो बच जाएंगे और जिनका संपर्क नहीं है तकनीक से वो कहां जाएंगे और जैसा कि कोविड-19 में हुआ था उन गरीबों का क्या हाल हुआ ये सबने देखा नंगे पैर चले हैं हजार हजार किलोमीटर पानी के लिए भी तरसे थे तो अब हम वही कहना चाह रहे हैं कि हम कितने तैयार हैं

 

तो एक तो यह हो गया सरकार का पहलू कि इस रूप में हमें काम करना चाहिए अच्छा हमारी जो इम्युनिटी है वह कमजोर होती जा रही है इसीलिए इस प्रकार के नए-नए वायरस हमारे ऊपर इंपैक्ट डालते जा रहे हैं तो यह इम्युनिटी कमजोर क्यों हो रही है क्योंकि हमारा जो रूटीन है हमारे खाने पीने की जो व्यवस्था है वो हमारा जो शेड्यूल बन चुका है उससे हम अंदर से कमजोर होते जा रहे हैं तो यह कहा जा सकता है कि जो प्रकृति है वह प्रकोप नहीं दिखा रही है एक्चुअली हम कमजोर होते जा रहे हैं और इस कमजोरी का प्रमुख कारण है कि हम अपने अंदर कुछ भी अनाप सनाप डाल रहे हैं कैसे समझना इस चीज़ के लिए आप इस उदाहरण से समझिए

 

यह गाड़ी जो आपको दिख रही है अगर आप यहां देख पा रहे होंगे तो यहां डीज़ल लिखा हुआ है अब तुम मुझे एक बात बताओ आप मोटरसाइकिल या कार लेते हो तो जब उसमें डीजल डलवाने जाते हो पेट्रोल डलवाने जाते हो मोटरसाइकिल में भी जाओगे तो पेट्रोल पंप वाले से पूछते हो वह तुमसे पूछेगा भैया डीजल की पेट्रोल तो तो जब तुम गाड़ी जिसका कोई वैल्यू नहीं है जिसमें कोई जान नहीं है उसमें जब डीजल की गाड़ी में डीजल डालते हो पेट्रोल की गाड़ी में पेट्रोल डालते हो इतना ध्यान रखते हो कि अगर डीजल की गाड़ी में पेट्रोल चला गया तो ये इंजन खराब हो जाएगा पता नहीं इसके इंजन में कौन सा वाला अंग काम करना बंद कर दे गाड़ी का इतना ख्याल है हमारा शरीर जो इतने अरबों खरबों का बना हुआ है 10 लाख की गाड़ी के लिए तुम इतना ख्याल रखते हो अरबों खरबों के शरीर का ख्याल नहीं रख पा रहे हो और इस मुंह में जो पाइप जा रहा है यानी जो जो डीजल जा रहा है वो कुछ भी है

 

मतलब डीजल चला जाए मट्टी का तेल चला जाए पेट्रोल चला जाए कोई फर्क नहीं पड़ रहा है तुमको लगता है अंदर जाकर सब चीजें अच्छी हो जाएंगी अंदर के जो कल्प र्जे हैं जिसके लिए बने हैं अगर उसके अलावा कोई दूसरा सामान अंदर जाएगा तो वो रिएक्शन करेगा और परफॉर्मेंस अच्छा नहीं आएगा हो सकता है गाड़ी बीच में दम तोड़ दे जैसा कि शुरू में दिखाए गए वीडियो में सब तोड़ रहे हैं तो कहीं ना कहीं हमारी गलती है हमारी दिनचर्या की गलती है और हम पूरी तरह से इसमें भ्रष्ट हो चुके हैं क्योंकि आजकल जो हमको खाने को मिल रहा है वो पूरी पूरी तरह से मिलावटी सामान है जनसंख्या बढ़ती जा रही है संसाधन की कमी है क्या करें भैया

 

जिस प्रकार से बाराती ज्यादा आ जाते हैं ना गांव में बारात में तो सब्जी में पानी मिला दिया जाता है ऐसे ही पूरे देश में मिलावट चल रही है क्योंकि जनसंख्या बढ़ चुकी है संसाधन उतने है नहीं है अब संसाधन का मतलब दूध तो भैंस ही देगी अब भैंस के लिए गांव होने चाहिए अब जहां गांव था वहां प्लॉटिंग होकर शहर होते जा रहे हैं तो क्या छत पर भैंस बांधो ग अब तो यह दूध कैसे बनता जा रहा है अब इसी प्रकार से पाउडर डिटर्जेंट स्टार्च मिला कर दूध की तैयारी की जा रही है अब यही मिलावटी जब दूध हम अपने अंदर पिएंगे तो कहीं ना कहीं वह दूसरी बीमारी के रूप में सामने आएगा इसीलिए आपको सावधान रहने की जरूरत है कि हमें मिलावटी सामान से बचना है

 

आप सब्जियां लेने चले जाओ इसमें इंजेक्शन लगाते हुए दिखाया जा रहा है अगर आप किसी सब्जी को लेने जाते हो टमाटर कैसा लाल चिकना लगा रहता है एकदम लगता है जैसे मेकअप करवा के आया हो अभी-अभी ब्यूटी पार्लर से निकला हो टमाटर इतना सुंदर दिखता है पर सोचने वाली बात है कि वो टमाटर अगर आप 10 दिन रखोगे खराब नहीं होगा पहले टमाटर में कीड़े पड़ते थे पहले खीरे में कीड़े पड़ते थे बैंगन में कीड़े पड़ते थे अब वो कीड़े क्यों नहीं पड़ रहे हैं अरे कीड़ों को भी मालूम है कि अगर मैंने इसको खा लिया तो मैं मर जाऊंगा इसलिए इससे अच्छा है कि मैं इसमें ना रहूं तो जब सब्जियों में कीड़े नहीं है तो स्पष्ट रूप से समझिए कि उसमें जीवन ही नहीं है अगर वो तुम खाओगे तुमको मरना ही पड़ेगा

 

क्योंकि उत्पादन के नाम पर हमको कुछ भी चिपकाया जा रहा है हरी सब्जी इतनी हरी कैसे हो रही है समझने वाली बात है पानी वाला टिक्की पिलाता है तो उसकी चटनी एकदम हरी होती है अरे जब हरी मिर्च की चटनी जब हम पीसते हैं तो काले की हो जाती है हरी नहीं रहती है उसमें कलर मिलाया जा रहा है वो कलर हमारे अंदर जाएगा सब्जियां हरी नहीं उसमें मिलावट की जा रही है वो जब मिलावट अंदर जाएगी तो उसका रिएक्शन हम लोगों को देना पड़ेगा और फिर एक नया पैटर्न आ गया youtube0 हो रहा है अरे शरीर का सिस्टम समझ रहे हो काम नहीं करेगा इस गेंडे हाथी को देखो तुम ये क्या सिखा रहे हैं हम लोगों को जब इनको कोई फॉलो करेगा तो एक सिस्टम ही तो बिगाड़ रहे हैं ये लोग और जब ये सिस्टम बिगाड़ हैं इन जैसे गंडे हाथी जैसे लोग तो फिर यही परिणाम कोरोना के रूप में सामने आएगा ऐसा ही कोई गंडा हाथी होगा चाइना में जिसने चमका दड़बा सामने आया होगा

 

अरे इंसान हो इंसानों जैसी हरकतें करो ना पर जानवरों जैसी हरकतें करोगे तो हमका इसका परिणाम पूरा समाज भुगते का पर हम लोग इनको फेमस कर रहे हैं इनको आगे ले जा रहे हैं एक और कारण है हमारे अंदर आलस आ चुका है क्योंकि जिस प्रकार से हमारा खान पीन है उपभोग की जो प्रवृत्ति बदल रही है पहले दलिया खाते थे बाजरे का खाना खाते थे जिसमें फाइबर होता था स्टार्च होता था तो हम जल्दी पचा लेते थे अब सुबह-सुबह ऐसी चीजें खा रहे हैं जो डब्बा पैक हैं जो कई दिनों की रखी हुई है वो अंदर जाता है तो अंदर एनर्जी रहती नहीं है आलस आ जाता है आलस आएगा तो कोई तुमसे कह देगा बड़े आलसी हो गए हो पेट निकल आया है मेरा भी निकल रहा है तो हमसे कोई बोलेगा तो मैं गुस्से में जाके जिम ज्वाइन कर लूंगा अरे 20 साल तो आलस किया है अचानक से जिम जवाइन करोगे रनिंग करोगे तो हार्ट अटैक अटक आएगा

 

इसी प्रकार की बीमारियों में इजाफा होते हुए दिखेगा और यह आंकड़े इसी प्रकार से हमको आगे जाते हुए दिखेंगे और यह पेनल्टी इस प्रकार से दिखेगी मैं यह नहीं कह रहा हूं कि अचानक से जिम करने से ये सब चीजें हो रही हैं इसके पीछे और भी कई कारण है हार्ट अटैक आने के जो यहां पर आपको दिखाए जा रहे हैं अब इन्हीं को देखकर समझो कि ये जो चीजें हमको बेची जा रही हैं ये अर्थव्यवस्था का हिस्सा है आप समझिए कैसे पूरे अर्थव्यवस्था का जाल फैलाया जा रहा है हमको सिर्फ वो चीजें बेची जा रही है जिससे सर्विस सेक्टर बढ़ाया जा सके सर्विस सेक्टर का क्या मतलब है ड डॉक्टर बढ़ाए जा सके वकील बढ़ाए जा सके पहले हम लोग कौन थे किसान पर निर्भर थे किसानी करते थे बैल यूज किया करते थे अब ये जो बैल हैं जानवर हैं इनका एक अपना इंटेंशन हुआ करता था आजकल आप देखोगे गायों को छोड़ दिया जाता है क्यों क्योंकि गाय को तब रखते जब बछड़े को दूध पिलाना होता और बछड़े को तब रखते जब उसे खेत में हल चलाना होता और खेत तो है ही नहीं उसमें तो प्लॉटिंग हो चुकी है

 

और जहां पर खेत है वहां पर बड़े-बड़े ट्रैक्टर चल रहे हैं तो इस प्रकार से पूरी अर्थव्यवस्था हमारी चेंज हो चुकी है और जो जो हमने उगला है वो हमारी प्रकृति ने खाया है और जो प्रकृति खाएगी वो हमको वापस करेगी और जब वो वापस करेगी तो कोरोना ही बनकर लौटेगी तो पहले हम लोग क्या करते थे एग्रीकल्चर करते थे मेहनत करते थे स्वस्थ रहते थे तो किसी प्रकार का अंदर कोलेस्ट्रॉल जमा होने का चांस ही नहीं होता था दम से घी खाते थे दम से तेल खाते थे फिर भी अंदर स्वस्थ रहते थे आज हम क्या कर रहे हैं तेल घी ज्यादा खा रहे हैं और उसी प्रकार से आराम की मुद्रा में है तो वो कहीं ना कहीं हार्ट अटैक के रूप में ही निकलेगा

 

समय बदला फिर आया और इस इंडस्ट्राइलाइज का प्रयास करो कि जिस प्रकार से प्राथमिक क्षेत्र सुकड़ जा रहा है द्वितीय क्षेत्र सुकड़ जा रहा है तृतीय क्षेत्र फैलता जा रहा है और एक जाल फैलाया जा रहा है प्रोडक्ट नहीं बेचा जा रहा है सर्विस बेची जा रही है अब अगर आप देखोगे तो बीमा कंपनी वाले एक्टिव हो गए हैं सर्विस है बीमा तुम तब कराओ जब तुमको डर हो हार्ट अटैक का ठीक इसी प्रकार से लीगल एक्शन वाले ज्यादा एक्टिव हो गए हैं सर्विस है लीगल एक्शन जब करोगे जब तुम किसी कंपनी के प्रोडक्ट में मिलावट का केस करोगे यह आप समझें कि किस प्रकार से एक जाल फैलाया जा रहा है तो केवल सरकार को रिस्पांसिबल ठहराना ठीक नहीं है हम सब रिस्पांसिबल हैं

 

अगर हमने मानवों की तरह व्यवहार नहीं किया तो यह मानिए कि हमारा अस्तित्व ज्यादा लंबा है नहीं पर यह व्यक्तिगत बात नहीं है यह सामूहिक बात है इसमें कई लोगों को लगेगा तू बकवास कर रहा है कई लोगों को लगेगा तुम ठीक कह रहे हो पर रियलिटी यह है कि मैं ठीक ही बोल रहा हूं क्योंकि अगर हम सब लोग नहीं सोचेंगे तो ज्यादा लंबा चलने वाले नहीं है जिस प्रकार से जनस बढ़ रही है भविष्य में सब लोग मांसाहार करने वाले हैं और एक मांसाहार यानी एक किलो मांसाहार को बनाने में 10 किलो साका आहार को खत्म करना पड़ेगा तो ऑक्सीजन की डिमांड जो अभी अस्पतालों में है वो प्रकृति में होने लगेगी और हम ऑक्सीजन के अभाव में मरने वाले हैं एक मूवी बनाई गई थी जिसमें ऑक्सीजन की कमी है वो मूवि यां मुझे अब सही होती हुई दिख रही है इसीलिए वास्तविकता को पहचानो तार्किक बनो चीजों को जवाब दो कोई भी डब्बा पैक सामान ले रहे हो हमें यह सोचना चाहिए

 

कि हमें आवश्यकता है कि केवल फैशन में उसका यूज कर रहे हैं कुछ चीजों की एक्चुअली हमें आवश्यकता नहीं है केवल फैशन के चक्कर में जबरन प्रयोग किया जा रहा है तो हमें अपनी इच्छाओं को मारना पड़ेगा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए काम करना पड़ेगा तो शायद हमारी आने वाली पीढ़ी कुछ अच्छा कर पाए अन्यथा इसी प्रकार से हम कोरोना की चपेट में रहेंगे और कोरोना फिर से आ रहा है मैं सबसे निवेदन कर रहा हूं तैयार रह विभिन्न प्रकार के जो प्रोटेक्शन हम लोग यूज कर सकते हैं उसके लिए तैयार रहे अब चूंकि एक बार हम लोग दंश झेल चुके हैं तो अब कोरोना को हम डट के रोक सकेंगे हम सब मिलकर रोकेंगे अकेले सरकार की जवाबदारी नहीं है हम सब मिलकर रोकेंगे

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